10+ भीलवाड़ा में घूमने की जगह – Bhilwara Tourist Places

Bhilwara Tourist Places -भीलवाड़ा भारत के राजस्थान राज्य का एक छोटा सा शहर है जो पर्यटन के लिए एक उत्कृष्ट स्थान है। यहाँ ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल, खूबसूरत झीलों, धरोहरों और स्थानीय कला के आकर्षण हैं। भीलबाड़ा शहर लगभग 900 साल पुराना हैं और इसे राजस्थान के सबसे पुराने शहर के रूप में भी जाना जाता हैं। राजस्थान के खूबसूरत पर्यटक स्थल भीलवाड़ा शहर का नाम भीलवाड़ा कैसे पड़ा हैं, इसके पीछे दो अलग-अलग कहानियां सुनने को मिलती हैं। भीलबाड़ा शहर भील नामक जनजाति द्वारा बसाया गया था। यह भी माना जाता है कि भील जनजाति ने इस जगह पर सदी के मध्य में अपना अधिपत्य जमा लिया था। तो आज हम भीलवाडा में घुमने कि जगह (Bhilwara me ghumne ki jagah) के बारे में जानेंगे |

भीलवाड़ा में प्रमुख पर्यटन स्थल  – Places to visit in Bhilwara

भीलवाड़ा राजस्थान राज्य में स्थित के प्रमुख पर्यटन स्थल है | यहाँ पर कई ऐसे धार्मिक और एतेहासिक पर्यटन स्थल है जिसे देखने काफी अधिक संख्या में लोग देश एवं विदेश से आते हैं | भीलवाड़ा में वैसे तो बहुत सारे पर्यटन स्थल (Bhilwara tourism) है लेकिंन उनमे से प्रमुख पर्यटन स्थल जो लोगो द्वारा बहुत पसंद किया जाता है वैसे पर्यटन स्थल (Places to visit in Bhilwara) के बारे में हम इस आर्टिकल में जानकारी देंगे तो चलिए अपने इस आर्टिकल में जानकारी की ओर आगे बढते हैं :- 

चामुण्डा देवी मंदिर – Chamunda Devi Temple Bhilwara 

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Chamunda Devi Temple, Bhilwara

चामुण्डा देवी मंदिर भीलवाड़ा में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवती चामुण्डा माता को समर्पित है और इसे राजस्थान के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। चामुण्डा देवी मंदिर में पहुंचने के लिए आपको ऊँचाई पर एक पहाड़ी की ओर जाना होगा। मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको 1600 सीढ़ियों को चढ़ना होगा। इस मंदिर के पास के पहाड़ी से आप भीलवाड़ा के शहर के पूरे नजारे को देख सकते हैं। चामुण्डा देवी मंदिर में भगवती चामुण्डा को समर्पित एक अलग ही वातावरण होता है। मंदिर में स्थित मूर्ति अत्यंत सुंदर है और यहाँ लोग धार्मिक आस्था और श्रद्धा का अनुभव करते हैं। तो अगर आप भीलवाड़ा घुमने गए है तो अपने भीलवाड़ा टूर (Bhilwara Tour) में इस स्थान को घूमना ना भूले |

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मेनाल झरना – Menal Fall, Bhilwara 

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Menal Fall, Bhilwara

मेनाल झरना भीलवाड़ा का एक बहुत ही प्रसिद्ध प्रकृति स्थल है। यह झरना बीजकी नदी के किनारे स्थित है और इसकी ऊँचाई लगभग 150 फीट है। मेनाल झरने को राजस्थान का नीलगिरि भी कहा जाता है। मेनाल झरने का नाम उस पास के गांव मेनल से पड़ा है। मेनाल झरने का पानी उन्नत तकनीक से उत्पादित किया जाता है और यह तकनीक राजस्थान सरकार द्वारा लागू की गई है। मेनाल झरने के चारों ओर घने वन हैं जो इसे और भी खूबसूरत बनाते हैं। यहाँ के पेड़-पौधे और वन्य जीवों का विविधता से भरा परिदेश आपको आकर्षित करता है। मेनाल झरने में घूमने (Menal jharna ghumne ki jagah) के लिए सबसे अच्छा समय सर्दियों का होता है, जब झरने का पानी धारों में बहता हुआ देखा जा सकता है। इस समय झरने का पानी नीले रंग का होता है जो बहुत ही खूबसूरत नजारा पेश करता है। मेनल झरने के पास आप भीलवाड़ा के अन्य धार्मिक स्थलों जैसे कि हरशिद्धि माता मंदिर, गंगाना तालाब और बिजोलिया गढ़ भी है जहाँ आप जाकर घूम सकते हैं |

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हरणी महादेव मंदिर – Harni Mahadev Temple, Bhilwara

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Harni Mahadev, Bhilwara

हरणी महादेव मंदिर राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह मंदिर वाणी नदी के किनारे स्थित है और स्थानीय लोगों में यहाँ के पवित्र मंदिर का बहुत ही खास महत्व है। हरणी महादेव मंदिर का नाम हरणी नदी से पड़ा है जो इसके पास से बहती है। यहाँ के मंदिर का निर्माण चौथी से पाँचवीं शताब्दी में हुआ था और इसे बनाने में बड़ी मेहनत की गई थी। हरणी महादेव मंदिर में लाल ग्रंथों में भी उल्लेखित महादेव का प्रतिमा स्थापित है। इसके अलावा मंदिर के पास एक छोटा झील भी है जो इसे और भी खूबसूरत बनाता है। हरणी महादेव मंदिर में वर्षभर धार्मिक त्यौहार और महोत्सव मनाए जाते हैं। मंदिर में शिवरात्रि और सावन मास में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इन दिनों लाखों श्रद्धालु यहाँ आकर भगवान शिव की भक्ति करते हैं और उन्हें आशीर्वाद मिलता है।

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बदनोर किला – Badnor Fort, Bhilwara

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Badnor Fort, Bhilwara

बदनोर किला राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में स्थित है और यह ऐतिहासिक दुर्ग है जो राजपूताना के शांतमय इतिहास से जुड़ा हुआ है। यह किला सिंधु और यमुना नदी के मध्य स्थित है जिसे वागड माउंटेन के नाम से भी जाना जाता है। बादनोर किला अपने खूबसूरत स्थान, इतिहास, और विस्तृत खुले मैदान के लिए प्रसिद्ध है। यह दुर्ग चौथी से छठी शताब्दी में बनाया गया था। इसकी दीवारें सोने और चांदी से सजी हुई हैं और इसके बाहर स्थित बांधों को भी दिखावे के लिए सजाया गया है। बादनोर किले में एक भव्य दरवाजा है जो कि इसके प्रमुख दरवाजों में से एक है। दरवाजे के ऊपर शैल शिखर होता है जो किले के इतिहास से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा, इस किले में भव्य मंजिलें हैं, जो अपनी विस्तृतता और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध हैं। बादनोर किले का महत्व इसकी भव्यता में है। यह किला राजपूत स्वाभिमान और वीरता का प्रतीक है।

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उरण छतरी – Uran Chhatari, Bhilwara 

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Uran Chhatari, Bhilwara

उरण छतरी भीलवाड़ा जिले के समीप स्थित एक आकर्षक पर्यटक स्थल है। यह स्थान राजस्थान के सबसे विश्वसनीय और स्वर्णिम इतिहास से जुड़ा हुआ है। यह एक प्राचीन बौद्ध धर्मस्थल है जिसमें बहुत से भगवान बुद्ध के मूर्तियां हैं। यह स्थल बहुत ही शांतिपूर्ण है और यहां जाकर आपको मानसिक तनाव से राहत मिलती है। इस स्थान पर भगवान बुद्ध की मूर्तियों के अलावा, एक प्राचीन मंदिर भी है जो स्थान के सम्राटों के धर्मिक महत्व का प्रतीक है। उरण छतरी के नाम का अर्थ होता है ‘आकाश में उड़ने वाली छतरी’। यह इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस स्थान पर एक ऊंची चतुर्भुज छतरी है जो बहुत दूर से दिखाई देती है। इस स्थान की खूबसूरती आपको देख कर ही मोह लेती है। यहां आपको सम्पूर्ण वातावरण से घिरे समुद्री पत्थर के शिलालेख, बौद्ध धर्म से जुड़ी मूर्तियों और अन्य धार्मिक स्थल मिलते हैं।

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खेड़ा के बालाजी – Khera Ke Balaji, Bhilwara 

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Khera Ke Balaji, Bhilwara

खेड़ा के बालाजी भीलवाड़ा जिले में स्थित है जो एक धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। यह बालाजी मंदिर राजस्थान के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है और यहां साल भर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। यह मंदिर हनुमान जी के एक रूप बालाजी के नाम से जाना जाता है और यहां आने वाले श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए प्रार्थना करते हैं। यह मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तु शिल्प का एक उत्कृष्ट नमूना है। इसमें एक ऊँची टेकड़ी और आलिशान स्तंभ हैं जो मंदिर को और भी आकर्षक बनाते हैं। यहां श्रद्धालु अपने बुद्धि को और शक्ति प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करते हैं।
खेड़ा के बालाजी मंदिर में आने वाले लोगों के लिए कई सुविधाएं हैं। इस मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए धर्मशाला भी है जहां वे रुक सकते हैं।

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उधरशिला महादेव मंदिर – Udharshila Mahadev Temple,  Bhilwara 

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Udharshila Mahadev, Bhilwara

उधरशिला महादेव मंदिर भीलवाड़ा जिले में स्थित है और यह राजस्थान के सबसे प्रसिद्ध महादेव मंदिरों में से एक है। यह मंदिर अत्यंत आकर्षक होने के साथ-साथ पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए एक प्रसिद्ध स्थल भी है। उधरशिला महादेव मंदिर के पास एक छोटा झील है, जिसे धार्मिक महत्व दिया जाता है। यहां पर सालाना मेले भी लगते हैं जो भक्तों और पर्यटकों को खींचते हैं। यह मंदिर उधरशिला पहाड़ी पर स्थित है, जिससे पर्यटकों को एक आकर्षक दृश्य मिलता है। इस मंदिर में महादेव की विशाल मूर्ति है जो श्रद्धालुओं को शांति और सुख देती है। उधरशिला महादेव मंदिर में प्रवेश करने के लिए आपको कुछ सीढ़ियों को चढ़ना होगा, लेकिन यह सभी के लिए बहुत ही सरल है। यहां से आप आसमानी दृश्य भी देख सकते हैं जो आपको अपनी यात्रा का आनंद लेने के लिए प्रेरित करता है।

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स्मृति वन – Smriti Van, Bhilwara 

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Smriti Van, Bhilwara

स्मृति वन भीलवाड़ा राजस्थान में स्थित एक जलाशय है जो शहर के मध्य में स्थित है। इस जलाशय को बनाने के पीछे एक उद्देश्य था, जो भीलवाड़ा में वसंत कुंज नाम के एक स्कूल की याद में था। यह स्कूल 2006 में भीलवाड़ा के एक बड़े उद्यमी श्री सुरेश शर्मा जी द्वारा बनाया गया था। जब यह स्कूल बनाया गया था, तब से ही उसके संस्थापक श्री सुरेश शर्मा जी ने इसे स्मृति कुंज बनाने का सपना देखा था। स्मृति वन का निर्माण 2014 में पूर्ण हुआ था। यह वन अपने नाम के अनुसार एक स्मृति स्थल है जहाँ आपको वसंत कुंज स्कूल के संस्थापक श्री सुरेश शर्मा जी और उनकी पत्नी श्रीमती सुशीला देवी जी के जीवन और कार्य के बारे में जानकारी मिलती है।

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गायत्री शक्ति पीठ – Gayatri Shakti Pith, Bhilwara 

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Gayatri Shakti Pith, Bhilwara

गायत्री शक्ति पीठ भीलवाड़ा, राजस्थान में स्थित है। यह शक्ति पीठ देवी गायत्री के समर्पित है और यहां ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, देवी गायत्री का आविर्भाव हुआ था। इस पीठ को वैदिक संस्कृति और गायत्री विद्या की सीढ़ियों का एक महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है। यह मंदिर अत्यंत शांतिपूर्ण और सुंदर है। इस मंदिर में देवी गायत्री की मूर्ति स्थापित है, जो श्रद्धालुओं के लिए आशीर्वाद और सुख लेकर आती है। मंदिर के आसपास फूलों से सजी फूलदार बगीचे होते हैं, जो इसे और भी आकर्षक बनाते हैं। यहां पर एक सुंदर यज्ञशाला होती है, जो श्रद्धालुओं के लिए पूजा और ध्यान करने के लिए एक शांतिपूर्ण स्थान है। इसके अलावा, गायत्री मंत्रों का उच्चारण भी यहां किया जाता है।

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राम निवास धाम – Ram Niwas Dham, Bhilwara

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Ram Niwas Dham, Bhilwara

राम निवास धाम भीलवाड़ा, राजस्थान में स्थित है। यह एक श्री राम के भक्तों के लिए स्थापित अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है। यह मंदिर अत्यंत शांतिपूर्ण और सुंदर है जो आपको शांति और सकारात्मक ऊर्जा की अनुभूति कराता है। यह मंदिर श्री राम भगवान को समर्पित है और यहां पर भगवान राम और उनकी पत्नी सीता के मूर्ति स्थापित हैं। यहां दुर्गा पूजन के लिए भी एक मंदिर है जो दुर्गा माता को समर्पित है। यहां दर्शनार्थी भक्तों के लिए बड़ी मात्रा में उपलब्ध विविध प्रकार के प्रसाद, भोजन और पूजा सामग्री होती है। यहां भोजन फ्री होता है और आपको स्वयं भोजन के लिए नहीं खर्च करना पड़ता है। इस मंदिर में एक बड़ा सागर होता है जिसे सितला माता के नाम से जाना जाता है। यहां लोग अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए पूजा करते हैं। इसके अलावा, मंदिर के आसपास एक सुंदर बागीचा भी होता है जो इसे और भी आकर्षक बनाता है।

तिलेश्वर महादेव मंदिर – Tileshwa Mahadev Temple, Bhilwara 

Tileshwa Mahadev Temple, tourist places in bhilwara
Tileshwa Mahadev Temple, Bhilwara

तिलेश्वर महादेव मंदिर भीलवाड़ा शहर के सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है। यह मंदिर हिल लॉक से लगभग 5 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां पर हिंदू धर्म के तीनों मुख्य देवताओं ब्रह्मा, विष्णु और महेश की मूर्तियां स्थापित हैं। तिललेश्वर महादेव मंदिर भीलवाड़ा शहर के आस-पास के इलाकों से भी बहुत लोग यहां आते हैं। मंदिर की विशेषता उसकी स्थानीय वास्तुशिल्प है, जो राजस्थान की परंपरागत विशेषताओं में से एक है। यहां की मूर्तियां अत्यंत रूचिकर हैं और अद्भुत नक्काशी के साथ बनाई गई हैं। तिलेश्वर महादेव मंदिर के इतिहास के बारे में कुछ ज्ञात नहीं है, लेकिन यह माना जाता है कि इसे स्थापित करने वाले राजा या राजकुमार को भगवान महादेव का अभिषेक कराना था। इस मंदिर में शिवलिंग के अलावा दूसरे देवी-देवताओं की भी मूर्तियां स्थापित हैं।

मंदाकिनी मंदिर – Mandakini Temple, Bhilwara 

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Mandakini Temple, Bhilwara

मंदाकिनी मंदिर भीलवाड़ा के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर टोड़ गांव में स्थित है और भीलवाड़ा शहर से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर है। यह मंदिर श्री शक्ति माता के नाम पर बनाया गया है। मंदाकिनी मंदिर का निर्माण भगवान राम के समय में हुआ था। यह मंदिर इतिहास में भीलवाड़ा जिले के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। इस मंदिर की स्थापना श्री राम ने की थी और यहां श्री शक्ति माता की मूर्ति स्थापित की गई थी। मंदाकिनी मंदिर के विभिन्न प्रतिमाएं यहां की स्थानीय संस्कृति और वास्तुशिल्प का अद्भुत उदाहरण हैं। इस मंदिर में विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित हैं। मंदाकिनी मंदिर के पास एक तालाब भी है जो इस मंदिर का एक और आकर्षण है। यहां आप भगवान शिव की शिवलिंग के दर्शन भी कर सकते हैं।

चारभुजानाथ मंदिर – Charbhujanath Temple, Bhilwara

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Charbhujanath Temple, Bhilwara

चारभुजानाथ मंदिर भीलवाड़ा शहर के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर राजस्थान के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है और यह राजस्थान के प्रमुख पौराणिक कथाओं में से एक से जुड़ा हुआ है। चारभुजानाथ मंदिर का निर्माण 1444 ईसा पूर्व के आस-पास हुआ था। यह मंदिर चारभुजानाथ भगवान के नाम पर बनाया गया है। इस मंदिर की स्थापना भगवान श्रीकृष्ण के भाई बलराम जी ने की थी। चारभुजानाथ मंदिर की स्थापना भगवान श्रीकृष्ण के भाई बलराम जी ने की थी। यह मंदिर राजस्थानी वास्तुशिल्प का अद्भुत उदाहरण है और इसमें विभिन्न प्रतिमाएं भी स्थापित हैं। इस मंदिर के विभिन्न भागों में देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं और इनमें से कुछ मूर्तियां बहुत ही पुरानी हैं। चारभुजानाथ मंदिर के बाहर एक नया स्थान है जहां पर दर्शक भीलवाड़ा शहर की खूबसूरत नजारे देख सकते हैं।

सावईभोज मंदिर – Sawaibhoj Temple, Bhilwara

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Sawaibhoj Temple, Bhilwara

सावईभोज मंदिर भीलवाड़ा शहर के अन्य मंदिरों की तुलना में अलग होता है। यह मंदिर एक राजस्थानी स्थापत्य विद्या का उत्कृष्ट उदाहरण है जिसमें शांतिपूर्ण वातावरण का आनंद लिया जा सकता है। सावईभोज मंदिर का नाम सावई भोजराज के नाम पर रखा गया है। सावई भोजराज राजस्थान के एक महान शासक थे जो मंदिर और कला के प्रति बहुत उत्साही थे। यह मंदिर उन्होंने 16वीं सदी में बनवाया था। इस मंदिर में सावई भोजराज जी की मूर्ति भी स्थापित है। यह मंदिर राजस्थानी शैली में बना है और अद्भुत विस्तार और सुंदर नक्शा देखने के लिए लोगों को खींचता है। इस मंदिर में विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं और उनमें से कुछ मूर्तियां बहुत ही प्राचीन हैं। इस मंदिर की संरचना और शैली में एक शांतिपूर्ण और प्राचीन वातावरण होता है जो इसे अलग बनाता है।

बगोर साहिब – Bagore Sahib, Bhilwara

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Bagore Sahib, Bhilwara

भीलवाड़ा शहर में स्थित बगोर साहिब गुरुद्वारा एक धार्मिक स्थल है जो सिखों के लिए एक प्रमुख तीर्थस्थान है। यह गुरुद्वारा उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के बीच सीमा के पास स्थित है। बगोर साहिब गुरुद्वारा के नाम का इतिहास सुन्दर और दिलचस्प है। इस गुरुद्वारे के नामकरण का श्रेय बाबा बगोर साहिब को जाता है, जो इस जगह पर एक समय रहते थे। यह गुरुद्वारा एक बड़े स्थल पर स्थित है जिसमें गुरुद्वारे के अलावा कई अन्य धार्मिक स्थल भी हैं। इस गुरुद्वारे के साथ एक विशाल रेस्तरां भी है जो खाने के लिए आतिथ्य उपलब्ध कराता है। बगोर साहिब गुरुद्वारा के अन्य धार्मिक स्थलों में से एक श्री गुरु ग्रंथ साहिब का आश्रय स्थल है। इसके अलावा, गुरुद्वारे में एक बड़ी महिला ध्यान केंद्र भी है जो महिलाओं के लिए एक स्थान है जहां वे ध्यान कर सकती हैं।

गणेश मंदिर – Ganesh Temple, Bhilwara

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Ganesh Temple, Bhilwara

भीलवाड़ा शहर में स्थित गणेश मंदिर एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है जो भगवान गणेश को समर्पित है। यह मंदिर शहर के गणेशपुर इलाके में स्थित है और स्थानीय लोगों के लिए एक प्रमुख तीर्थस्थान है। गणेश मंदिर के इतिहास के बारे में कुछ जानकारी मिलती है। यह मंदिर स्थानीय लोगों द्वारा अपनी संपदा द्वारा निर्मित किया गया था। यह एक छोटा मंदिर है जो गणेश भगवान को समर्पित है। इस मंदिर में गणेश भगवान की विग्रह स्थापित है जिसे स्थानीय लोग पूजते हैं। मंदिर के आसपास एक छोटा सा पार्क है जो भक्तों को आराम देता है जब वे मंदिर के दर्शन करने आते हैं। यह मंदिर भगवान गणेश के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं के दर्शन भी उपलब्ध कराता है। इस मंदिर में भगवान शिव और माँ पार्वती की विग्रह भी स्थापित हैं। गणेश मंदिर भीलवाड़ा शहर का एक आकर्षक स्थान है जो धार्मिक महत्व का एक संकेत है।

त्रिवेणी – Triveni, Bhilwara

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Triveni, Bhilwara

भीलवाड़ा शहर में स्थित त्रिवेणी संगम एक विशेष स्थल है जो तीन नदियों के संगम को दर्शाता है। यह नदी संगम स्थल मानसून के मौसम में ज्यादा आकर्षक होता है जब तीनों नदियों का पानी एक साथ बहता हुआ देखा जा सकता है। त्रिवेणी संगम भीलवाड़ा शहर के उत्तर-पश्चिम में स्थित है और मुख्य शहर से कुछ किलोमीटर दूर है। यह एक धार्मिक स्थल होता है जहां लोग विभिन्न प्रकार की पूजाएं करते हैं। त्रिवेणी संगम के आसपास कुछ मंदिर होते हैं जो विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित होते हैं। यहाँ पर अनेक लोग आते हैं और नदी के किनारे चलकर बैठते हैं। त्रिवेणी संगम का महत्व धार्मिक एवं ऐतिहासिक दोनों होता है। यह स्थान लोगों को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है। इस संगम स्थल के आसपास एक खूबसूरत पार्क भी होता है जहां आप अपने परिवार के साथ घूमने जा सकते हैं। यहाँ विभिन्न प्रकार के खेल खुशियां भी आयोजित की जाती हैं।

मेजा डैम – Meja Dam, Bhilwara

Meja Dam, Meja Dam, Bhelwara
Meja Dam, Bhilwara

मेजा डैम राजस्थान के भीलवाड़ा शहर में स्थित है। यह एक बड़ा बांध है जो मेजा नदी पर बनाया गया है। इस बांध की ऊंचाई 53 मीटर है और यह राजस्थान में सबसे बड़े बांधों में से एक है। मेजा डैम एक प्रमुख पर्यटन स्थल है जो भीलवाड़ा शहर के पास स्थित है। इस बांध का निर्माण 1959 से 1962 तक किया गया था। इस बांध का मुख्य उद्देश्य इरीगेशन के लिए पानी आपूर्ति करना था। मेजा डैम का नजारा बहुत खूबसूरत होता है। यहाँ पर अनेक प्रकार के पक्षियों और जानवरों को भी देखा जा सकता है। इस जगह पर घूमने के लिए लोगों को अलग-अलग गतिविधियों का भी आनंद लेना पड़ता है। मेजा डैम के पास कुछ अच्छे होटल भी हैं जहां आप अपने परिवार के साथ रुक सकते हैं। इन होटलों में आपको अनेक सुविधाएं मिलती हैं जो आपके घूमने का अनुभव और भी बेहतर बना देती हैं।

बीजोलिया  – Bijoliya, Bhilwara

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Bijoliya, Bhilwara

बीजोलिया भीलवाड़ा जिले में स्थित एक छोटा सा गांव है। इस गांव में अनेक प्राचीन मंदिर और स्मारक हैं जो इस जगह को एक प्रमुख पर्यटन स्थल बनाते हैं। बीजोलिया एक प्राचीन गांव है जिसका इतिहास काफी पुराना है। इस गांव का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। यहाँ पर श्रीकृष्ण के द्वारा किये गए एक लीला स्थल भी है जो यहाँ के मंदिरों में शामिल है। बीजोलिया में दो मुख्य मंदिर हैं, जो कि यहाँ के प्रमुख धार्मिक स्थल हैं। पहला मंदिर श्री रुक्मिणी द्वारकाधीश मंदिर है जो कि भगवान श्रीकृष्ण और उनकी पत्नी रुक्मिणी को समर्पित है। दूसरा मंदिर श्री नाथजी का मंदिर है जो कि यहाँ के निवासियों की अधिकतरता का धार्मिक स्थल है। बीजोलिया में कुछ अन्य मंदिर भी हैं जो धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं। यहाँ पर श्रद्धालु लोग अपनी पूजा-अर्चना करते हैं |

जटाऊ का शिव मंदिर – Jatau ka Shiv Mandir, Bhilwara

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Jatau ka Shiv Mandir, Bhilwara

भीलवाड़ा जिले में स्थित जटाऊ का शिव मंदिर राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। यह मंदिर जटाऊ नामक स्थान पर स्थित है और भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना है और यह मंदिर मौलिख रूप से पत्थरों से बना है। यह मंदिर राजस्थान में सबसे पुराना मंदिरों में से एक है और यह इतिहास में कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी रहा है। इस मंदिर में भगवान शिव के अलावा अन्य देवताओं की मूर्तियां भी हैं। यहाँ पर संत जटायु की मूर्ति भी है जो इस मंदिर को इतना विशेष बनाती है। इस मंदिर में सभी दिशाओं में चारों ओर से झाड़ियां होने के कारण यहाँ का माहौल भी काफी शांतिपूर्ण होता है। जटाऊ का शिव मंदिर भीलवाड़ा में पर्यटन का एक प्रमुख स्थल है और इसे दर्शनीय स्थलों की सूची में शामिल किया जाता है। यहाँ दर्शन के लिए साल भर बहुत से श्रद्धालु इस जगह पर आते हैं।

FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल):-

भीलवाड़ा में घूमने की जगह कौन कौन सी है?

भीलवाड़ा राजस्थान का एक प्रमुख शहर है जो अपने कपड़ों और करघों के लिए प्रसिद्ध है। भीलवाड़ा में कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल भी हैं। भीलवाड़ा में घूमने के लिए कुछ लोकप्रिय स्थानों में शामिल हैं:चावण्डिया तालाब, दरगाह हजरत गुल अली बाबा, गांधी सागर तालाब, हरणी महोदव, बदनोर, कोटडी, बनेड़ा, मेनाल इत्यादि |

भीलवाड़ा में सबसे बड़ा मंदिर कौन सा है?

भीलवाड़ा में सबसे बड़ा मंदिर श्री चारभुजा नाथ मंदिर है। यह मंदिर भीलवाड़ा शहर के सांगानेर क्षेत्र में स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में किया गया था। मंदिर में भगवान विष्णु की चार भुजाओं वाली प्रतिमा स्थापित है। मंदिर का गर्भगृह बहुत ही विशाल है। मंदिर परिसर में एक सुंदर तालाब भी है।

भीलवाड़ा का पुराना नाम क्या है?

भीलवाड़ा का पुराना नाम “भिलाडी” था। यह नाम यहां के भील जनजाति से लिया गया है। भीलवाड़ा को “राजस्थान का मैनचेस्टर” भी कहा जाता है क्योंकि यह अपने कपड़ों और करघों के लिए प्रसिद्ध है।

भीलवाड़ा में ठहने कि जगह?

भीलवाड़ा में ठहने की जगहों की कुछ सूची निम्नलिखित है:

शांतिनाथ जैन ठहराव
होटल लक्ष्मी प्लेस
होटल हिना पलेस
होटल रंगमंच
होटल एकता
होटल अमरीका
होटल रिट्ज
होटल शान्तिधाम
ये सभी ठहराव और होटल अपने अनुकूलन के अनुसार विभिन्न बजट और आवास के विकल्प प्रदान करते हैं। ठहराव और होटल की आपकी आवश्यकताओं के अनुसार बुकिंग की जा सकती है।

भीलवाड़ा घुमने का खर्चा?

भीलवाड़ा घूमने का खर्चा आपकी यात्रा के आधार पर भिन्न होगा। यह आपकी आवास की जगह, खाने-पीने की जगह, यातायात के बारे में और आपकी यात्रा की अवधि के आधार पर भी निर्धारित होगा। यदि आप भीलवाड़ा में दो-तीन दिन तक रुकेंगे तो सामान्यतः आपका खर्च निम्नलिखित तरह हो सकता है:

आवास: आपके लिए आवास की जगह चुनने पर आपका खर्च दिन प्रति 500 रुपये से शुरू हो सकता है।
भोजन: भीलवाड़ा में आपको स्वादिष्ट राजस्थानी खाने के विकल्प मिलेंगे। आपका खानपान का खर्च दिन प्रति 500 रुपये तक हो सकता है।
यातायात: भीलवाड़ा में टैक्सी, ऑटोरिक्शा और बस का विकल्प उपलब्ध है। यातायात का खर्च आपकी यात्रा की अवधि, स्थान और साधन के आधार पर निर्धारित होगा।
इस प्रकार आपके दो-तीन दिनों के घूमने का खर्च लगभग 3000 से 4000 रुपये तक हो सकता है। हालांकि यह आपकी आवश्यकताओं, बजट और यात्रा के अनुसार भिन्न हो सकता है |

भीलवाड़ा का पुराना नाम क्या है?

भीलवाड़ा का पुराना नाम “मंडलगढ़” था। इसे मुगल शासक अकबर के समय में सन् 1561 में बनाया गया था। भीलवाड़ा नाम के पीछे की कहानी बताती है कि यह एक छोटी झील के आसपास बसा हुआ है, जिसे भील कहते हैं। भीलवाड़ा शब्द “भीलों का वाडा” अर्थात् “भीलों का नगर” से बना है। भीलवाड़ा को भारत के पश्चिमी राजस्थान में स्थित होने के कारण राजस्थान का ताजमहल कहा जाता है।

भीलवाड़ा टू नीमच कितने किलोमीटर है?

भीलवाड़ा से नीमच की दूरी लगभग 370 किलोमीटर है।

भीलवाड़ा में कितने रेलवे स्टेशन है?

भीलवाड़ा जिले में कुल 4 रेलवे स्टेशन हैं। इनमें से दो अभी चल रहे हैं जो कि भीलवाड़ा सिटी और भीलवाड़ा जंक्शन हैं, जबकि दो स्टेशन बंद हो चुके हैं जो कि नान्देरा और शामलाजी के नाम से थे।

जयपुर से भीलवाड़ा ट्रेन कितने बजे जाती है?

जयपुर से भीलवाड़ा के लिए रेलगाड़ी अलग-अलग समय पर चलती हैं। उनमें से सबसे प्रमुख ट्रेन जयपुर से उदयपुर के बीच चलने वाली ‘मवास क्रांति एक्सप्रेस’ (12981) है जो दिन में दो बार चलती है। इसके अलावा जयपुर से भीलवाड़ा के लिए और भी कई ट्रेनें हैं जो अलग-अलग समय पर चलती हैं। ट्रेनों के समयों की जानकारी आप भारतीय रेलवे की वेबसाइट या मोबाइल एप्प से प्राप्त कर सकते हैं।

भीलवाड़ा के प्रमुख मंदिर?

भीलवाड़ा जिले में कई प्रमुख मंदिर हैं। इनमें से कुछ प्रमुख मंदिर निम्नलिखित हैं:

श्री शांतिनाथ जैन मंदिर
चारभुजा नाथ मंदिर
गोपीनाथ जी मंदिर
सावई भोज मंदिर
जाटौं का शिव मंदिर
त्रिवेणी तीर्थ
बगोरे साहिब गुरुद्वारा
श्री गणेश मंदिर
ये सभी मंदिर भीलवाड़ा में आकर्षण के रूप में जाने जाते हैं और इन्हें दर्शन करने के लिए लोग इन्हें बहुत ज्यादा पसंद करते हैं।

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निष्कर्ष (Discloser):

हमने अपने आज के इस महत्वपूर्ण लेख में आप सभी लोगों को भीलवाड़ा में घूमने की जगह (Bhilwara Me Ghumne ki Jagah) (Bhilwara tour) से सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी दी है और यह जानकारी अगर आपको पसंद आई है तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ और अपने सभी सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर करना ना भूले। आपके इस बहुमूल्य समय के लिए धन्यवाद |

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