तिरुपति बालाजी मंदिर की यात्रा और दर्शन (Tirupati Balaji Temple) :- तिरुपति बालाजी मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह आंध्र प्रदेश के तिरुपति शहर में स्थित है। यह मंदिर भगवान वेंकटेश्वर (venkateswara temple) को समर्पित है, जो भगवान विष्णु के एक अवतार हैं। तिरुपति बालाजी मंदिर दुनिया भर से लाखों भक्तों को आकर्षित करता है।
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तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास – Tirupati Balaji History & Story in Hindi
तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। मंदिर के निर्माण के बारे में कई कहानियां हैं। एक कहानी के अनुसार, भगवान विष्णु ने कलियुग में भक्तों की रक्षा के लिए तिरुमला पर्वत पर अवतार लिया था। उन्होंने भगवान वेंकटेश्वर (venkateswara temple) के रूप में अवतार लिया और यहां निवास किया। एक अन्य कहानी के अनुसार, भगवान विष्णु के पुत्र श्रीनिवास ने तिरुमला पर्वत पर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें अपने दर्शन दिए और उन्हें वरदान दिया कि वे यहां हमेशा के लिए निवास करेंगे।
तिरुपति बालाजी मंदिर का वास्तुकला – Vastu of Tirupati Balaji Temple
तिरुपति बालाजी मंदिर एक विशाल और भव्य मंदिर है। मंदिर का निर्माण पत्थर से किया गया है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान वेंकटेश्वर की भव्य मूर्ति स्थापित है। मूर्ति सोने की है और इसे बहुत ही सुंदर ढंग से सजाया गया है। मंदिर का परिसर बहुत बड़ा है। परिसर में कई अन्य मंदिर और दर्शनीय स्थल भी हैं। इनमें से कुछ मंदिर और दर्शनीय स्थल निम्नलिखित हैं:
- गोविंदराजस्वामी मंदिर: यह मंदिर भगवान गोविंदराजस्वामी को समर्पित है, जो भगवान विष्णु के एक अन्य अवतार हैं।
- अल्लुरु मंदिर: यह मंदिर भगवान वेंकटेश्वर की पत्नी पद्मावती को समर्पित है।
- श्रीनिवास मंदिर: यह मंदिर भगवान श्रीनिवास को समर्पित है, जो भगवान विष्णु के पुत्र हैं।
तिरुपति बालाजी मंदिर यात्रा की तैयारी – Tirupati Balaji mandir ki Yatra & Preparation
तिरुपति बालाजी मंदिर की यात्रा करने से पहले, आपको कुछ तैयारियां करनी चाहिए। सबसे पहले, आपको अपने यात्रा कार्यक्रम की योजना बनानी चाहिए। आपको यह तय करना होगा कि आप कब यात्रा करेंगे, आप कितने दिनों के लिए रहेंगे, और आप किस तरह से यात्रा करेंगे।
तिरुपति बालाजी मंदिर तक पहुंचने के लिए कई तरह के विकल्प उपलब्ध हैं। आप हवाई जहाज, ट्रेन, बस, या कार से यात्रा कर सकते हैं। यदि आप हवाई जहाज से यात्रा कर रहे हैं, तो तिरुपति हवाई अड्डा आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प है। यह हवाई अड्डा तिरुपति शहर से लगभग 10 किलोमीटर दूर स्थित है।
यदि आप ट्रेन से यात्रा कर रहे हैं, तो तिरुपति रेलवे स्टेशन आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प है। यह रेलवे स्टेशन तिरुपति शहर के केंद्र में स्थित है।
यदि आप बस से यात्रा कर रहे हैं, तो तिरुपति बस स्टैंड आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प है। यह बस स्टैंड तिरुपति शहर के केंद्र में स्थित है।
तिरुपति बालाजी मंदिर का दर्शन – Tirupati Balaji Mandir Darshan
तिरुपति बालाजी मंदिर में दर्शन करने के लिए आपको दर्शन टिकट खरीदना होगा। दर्शन टिकट आप ऑनलाइन या मंदिर में खरीद सकते हैं। दर्शन टिकट खरीदने के बाद, आपको दर्शन कतार में लगना होगा। तिरुपति बालाजी मंदिर में दर्शन करने का समय सुबह 7:00 बजे से शाम 8:00 बजे तक है। दर्शन कतार में लगने के लिए आपको लगभग 2-3 घंटे का इंतजार करना पड़ सकता है। दर्शन कतार में लगने के बाद, आपको दर्शन द्वार तक पहुंचने के लिए एक लंबी सीढ़ी चढ़नी होगी। सीढ़ी चढ़ने के बाद, आपको दर्शन कक्ष में प्रवेश करना होगा। दर्शन कक्ष में प्रवेश करने के बाद, आपको भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन करने का अवसर मिलेगा। भगवान वेंकटेश्वर को तिलक, फूल, और प्रसाद अर्पित करने के बाद, आप दर्शन कक्ष से बाहर निकल सकते हैं।
तिरुपति बालाजी मंदिर दर्शन के बाद – After Tirupati Balaji Temple Darshan
दर्शन के बाद, आप मंदिर परिसर में घूम सकते हैं। मंदिर परिसर में कई अन्य मंदिर और दर्शनीय स्थल हैं। आप इन मंदिरों और दर्शनीय स्थलों के दर्शन कर सकते हैं।
दर्शन के बाद, आप मंदिर के आसपास के बाजारों में खरीदारी कर सकते हैं। मंदिर के आसपास के बाजारों में कई तरह के सामान उपलब्ध हैं, जिनमें धार्मिक वस्तुएं, कपड़े, और स्मृति चिन्ह शामिल हैं।
तिरुपति बालाजी दर्शन बुकिंग – Tirupati Balaji Darshan booking
तिरुपति बालाजी दर्शन बुकिंग दो तरीकों से की जा सकती है: –
- ऑनलाइन बुकिंग: दर्शन की बुकिंग तिरुपति बालाजी दर्शन वेबसाइट या मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से की जा सकती है। बुकिंग करने के लिए, आपको अपना नाम, पता, संपर्क जानकारी, और दर्शन की तारीख और समय चुनना होगा। बुकिंग शुल्क का भुगतान ऑनलाइन या डेबिट/क्रेडिट कार्ड से किया जा सकता है।
- पोस्ट ऑफिस बुकिंग: दर्शन की बुकिंग भारतीय डाकघरों के माध्यम से भी की जा सकती है। बुकिंग करने के लिए, आपको अपने नजदीकी डाकघर में जाना होगा और एक दर्शन बुकिंग फॉर्म भरना होगा। बुकिंग शुल्क का भुगतान डाकघर में नकद या चेक से किया जा सकता है।
दर्शन बुकिंग की प्रक्रिया निम्नलिखित है – तिरुपति बालाजी के लिए रजिस्ट्रेशन कैसे होता है?
ऑनलाइन बुकिंग: 1. तिरुपति बालाजी दर्शन वेबसाइट पर जाएं या मोबाइल एप्लिकेशन डाउनलोड करें। 2. “दर्शन बुकिंग” विकल्प पर क्लिक करें। 3. अपना नाम, पता, संपर्क जानकारी, और दर्शन की तारीख और समय चुनें। 4. बुकिंग शुल्क का भुगतान करें। 5. बुकिंग फॉर्म भरें और सबमिट करें। ऑनलाइन बुकिंग के लिए click करे |
पोस्ट ऑफिस बुकिंग: 1. अपने नजदीकी डाकघर में जाएं। 2. एक दर्शन बुकिंग फॉर्म भरें। 3. बुकिंग शुल्क का भुगतान करें। 4. फॉर्म को जमा करें। दर्शन बुकिंग शुल्क दर्शन के प्रकार के आधार पर अलग-अलग होता है। सामान्य दर्शन के लिए शुल्क ₹300 है, और विशेष दर्शन के लिए शुल्क ₹500 से ₹1,500 तक हो सकता है।
दर्शन की तारीख और समय चुनते समय, ध्यान रखें कि दर्शन की मांग बहुत अधिक है और दर्शन की तारीख और समय जल्दी से भर जाते हैं। दर्शन की बुकिंग करने के लिए कम से कम 15 दिन पहले बुकिंग करना उचित है। दर्शन के लिए, आपको अपने साथ एक फोटो आईडी, जैसे कि आधार कार्ड, पासपोर्ट, या ड्राइविंग लाइसेंस ले जाना होगा। दर्शन के लिए, आपको अपनी छाती, सर, और पैर ढकने वाले कपड़े पहनने होंगे।
तिरुपति बालाजी VIP दर्शन – Tirupati Balaji Temple darshan
तिरुपति बालाजी VIP दर्शन एक विशेष प्रकार का दर्शन है जो सामान्य दर्शन से अलग होता है। VIP दर्शन के लिए, आपको ₹500 से ₹1,500 का शुल्क देना होगा। बुक करने के लिए Click करें |
तिरुपति बालाजी दर्शन टिकट Price – Tirupati Balaji darshan ticket Price
तिरुपति बालाजी दर्शन टिकट की कीमत दर्शन के प्रकार के आधार पर अलग-अलग होती है।
- सामान्य दर्शन: यह दर्शन ₹300 का है। इस दर्शन के लिए, आपको दर्शन के लिए कम से कम 2 से 3 घंटे इंतजार करना होगा।
- स्पेशल एंट्री दर्शन: यह दर्शन ₹500 का है। इस दर्शन के लिए, आपको दर्शन के लिए कम से कम 15 मिनट इंतजार करना होगा।
- VIP ब्रेक दर्शन: यह दर्शन ₹1,500 का है। इस दर्शन के लिए, आपको दर्शन के लिए कम से कम 5 मिनट इंतजार करना होगा।
तिरुपति बालाजी मंदिर में दर्शन के लिए टिकट की बुकिंग ऑनलाइन या पोस्ट ऑफिस के माध्यम से की जा सकती है। दर्शन की बुकिंग करते समय, आपको अपना नाम, पता, संपर्क जानकारी, और दर्शन की तारीख और समय चुनना होगा।दर्शन के लिए, आपको अपने साथ एक फोटो आईडी, जैसे कि आधार कार्ड, पासपोर्ट, या ड्राइविंग लाइसेंस ले जाना होगा। दर्शन के लिए, आपको अपनी छाती, सर, और पैर ढकने वाले कपड़े पहनने होंगे।
तिरुपति बालाजी मंदिर के आसपास घूमने की जगह – Visit Places in Tirupati Balaji Temple
तिरुपति बालाजी मंदिर के आसपास घूमने के लिए कई जगहें हैं। जहाँ लोग बालाजी के दर्शन के बाद जाते हैं और आपको भी जरुर जाना चाहिए तो चलिए जानते है बालाजी मंदिर के आस पास कौन कौन से प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल है :-
1. श्रीनिवास मंदिर – Sriniwas Madir, Tirupati
श्रीनिवास मंदिर तिरुपति बालाजी मंदिर के पास स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर भगवान विष्णु के पुत्र श्रीनिवास को समर्पित है। मंदिर तिरुमला पर्वत पर स्थित है, जो आंध्र प्रदेश में एक पवित्र पर्वत है। मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी में हुआ था। मंदिर का निर्माण द्रविड़ वास्तुकला शैली में किया गया है। मंदिर का गर्भगृह सोने से बना है और इसमें भगवान श्रीनिवास की एक भव्य मूर्ति स्थापित है। मंदिर एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है और यह लाखों भक्तों को आकर्षित करता है। मंदिर में हर साल कई धार्मिक आयोजन होते हैं।
2. गोविंदराजस्वामी मंदिर – Govind Raj Swami Mandir, Tirupati
गोविंदराजस्वामी मंदिर तिरुमला पर्वत पर स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार गोविंदराजस्वामी को समर्पित है। मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था। मंदिर का निर्माण द्रविड़ वास्तुकला शैली में किया गया है। मंदिर का गर्भगृह सोने से बना है और इसमें भगवान गोविंदराजस्वामी की एक भव्य मूर्ति स्थापित है।
3. अल्लुरु मंदिर – Aluru Mandir, Tirupati
अल्लुरु मंदिर तिरुपति से 7 किलोमीटर दूर स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर भगवान वेंकटेश्वर की पत्नी पद्मावती को समर्पित है। मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था। मंदिर का निर्माण द्रविड़ वास्तुकला शैली में किया गया है। मंदिर का गर्भगृह सोने से बना है और इसमें भगवान पद्मावती की एक भव्य मूर्ति स्थापित है।
4. तिरुमाला पहाड़ियां – Tirumala Mountain, Tirupati
तिरुमाला पहाड़ियां आंध्र प्रदेश में स्थित एक पवित्र पहाड़ श्रृंखला है। ये पहाड़ियां भगवान वेंकटेश्वर, हिंदू देवता विष्णु के एक रूप को समर्पित एक प्रसिद्ध मंदिर के लिए प्रसिद्ध हैं। तिरुमाला पहाड़ियां लगभग 6000 फीट की ऊंचाई पर स्थित हैं और उन्हें सात पहाड़ियों के रूप में जाना जाता है। पहाड़ियों के नाम हैं: वेंकटगिरि, नेल्लीगिरि, वसंतगिरि, वेंकटाद्रि, वासुकिगिर, नंदगिरि और सुब्रमण्यगिरि।तिरुमाला पहाड़ियों तक पहुंचने के कई तरीके हैं। आप पैदल, बस, टैक्सी या रोपवे ले सकते हैं। रोपवे एक लोकप्रिय विकल्प है क्योंकि यह आपको पहाड़ियों के शीर्ष तक जल्दी और आसानी से ले जाता है।
5. चंद्रगिरि – Chandragiri, Tirupati
चंद्रगिरि तिरुपति से 15 किलोमीटर दूर स्थित एक पहाड़ी है। पहाड़ी पर एक किला है जिसे चंद्रगिरि किला कहा जाता है। किला 16वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य द्वारा बनाया गया था। किला तिरुपति और आसपास के क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण रक्षा स्थल था। किले में कई रणनीतिक स्थान हैं, जैसे कि बुर्ज, तोपखाने के गढ़ और सुरंगें। किला एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। किले के अंदर कई ऐतिहासिक इमारतें और संरचनाएं हैं, जिनमें मंदिर, मस्जिद, चर्च और मठ शामिल हैं। चंद्रगिरि से तिरुपति शहर का एक सुंदर दृश्य दिखाई देता है। किले के शीर्ष पर एक मंदिर है जो भगवान सूर्य को समर्पित है। मंदिर से सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य बहुत ही मनमोहक हैं।
FAQ (तिरुपति बालाजी के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल) :-
तिरुपति बालाजी मंदिर कहाँ है?
तिरुपति बालाजी मंदिर भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के चित्तूर जिले में तिरुमला पहाड़ी की सातवीं चोटी पर स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार श्री वेंकटेश्वर को समर्पित है। यह मंदिर भारत के सबसे लोकप्रिय तीर्थ स्थलों में से एक है और प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालुओं द्वारा दर्शन किया जाता है।
बालाजी जाने में कितना खर्चा लगता है?
बालाजी जाने में लगभग ₹5,000 से ₹20,000 का खर्च आता है। यह खर्च आपके यात्रा के तरीके, अवधि, और बजट पर निर्भर करता है।
तिरुपति बालाजी मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
तिरुपति बालाजी मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय तीर्थ स्थलों में से एक है। इस मंदिर की प्रसिद्धि के कई कारण हैं, तिरुपति बालाजी मंदिर भगवान विष्णु के अवतार श्री वेंकटेश्वर को समर्पित है। भगवान वेंकटेश्वर हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता हैं। वे समृद्धि, सफलता, और ज्ञान के देवता के रूप में पूजे जाते हैं। तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। कहा जाता है कि यह मंदिर 5वीं शताब्दी से अस्तित्व में है। तिरुपति बालाजी मंदिर की वास्तुकला बहुत सुंदर और भव्य है। मंदिर का निर्माण ग्रेनाइट पत्थरों से किया गया है। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में भगवान वेंकटेश्वर की एक विशाल मूर्ति स्थापित है। मूर्ति सोने से बनी हुई है और इसे “गोल्लिवंडम” के नाम से जाना जाता है।
तिरुपति बालाजी मंदिर का रहस्य क्या है?
तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़े कई रहस्य हैं। इनमें से कुछ रहस्यों का वैज्ञानिकों ने भी रहस्यमय बताया है। इन रहस्यों में शामिल हैं:
- भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति का रहस्य: भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति सोने से बनी हुई है और इसे “गोल्लिवंडम” के नाम से जाना जाता है। मूर्ति इतनी चमकदार है कि इसे दूर से ही देखा जा सकता है। मूर्ति की विशेषता यह है कि यह कभी भी फीकी नहीं पड़ती है।
- मंदिर के तापमान का रहस्य: तिरुपति बालाजी मंदिर की परिसर में तापमान हमेशा स्थिर रहता है, चाहे बाहर का तापमान कुछ भी हो। यह रहस्य भी वैज्ञानिकों के लिए एक पहेली है।
- मंदिर के भक्तों की आस्था का रहस्य: तिरुपति बालाजी मंदिर लाखों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है। मान्यता है कि इस मंदिर के दर्शन से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह आस्था भी एक रहस्य है।
इन रहस्यों के अलावा, तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़े कई अन्य रहस्य भी हैं। इन रहस्यों को जानने के लिए, वैज्ञानिक और इतिहासकार लगातार शोध कर रहे हैं। हालांकि, अभी तक इन रहस्यों को सुलझाने में कोई सफलता नहीं मिली है।
तिरुपति बालाजी मंदिर में कितनी सीढ़ी है?
तिरुपति बालाजी मंदिर में लगभग 3,500 सीढ़ियां हैं। यह सीढ़ियां तिरुमला पहाड़ी की सातवीं चोटी पर स्थित मंदिर तक पहुंचने के लिए हैं। सीढ़ियां 800 मीटर लंबी हैं और इनकी ऊंचाई 3,238 फीट है।
तिरुपति बालाजी में प्रसाद क्या चढ़ता है?
तिरुपति बालाजी मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर को चढ़ाया जाने वाला प्रसाद बहुत ही प्रसिद्ध है। यह प्रसाद एक गोल आकार का होता है और इसे “तिरुपति लड्डू” के नाम से जाना जाता है। तिरुपति लड्डू को बेसन, चीनी, घी, काजू, मुनक्का, और इलायची से बनाया जाता है।
तिरुपति दर्शन के लिए कितने दिन चाहिए?
तिरुपति दर्शन के लिए कितने दिन चाहिए, यह आपकी रुचि और बजट पर निर्भर करता है। यदि आप केवल तिरुपति बालाजी मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं, तो आपको एक दिन पर्याप्त हो सकता है। आप सुबह मंदिर पहुंच सकते हैं, दर्शन कर सकते हैं, और फिर शाम को वापस लौट सकते हैं। यदि आप तिरुपति के अन्य दर्शनीय स्थलों को भी देखना चाहते हैं, तो आपको कम से कम दो दिन चाहिए। आप एक दिन में तिरुपति बालाजी मंदिर और तिरुपति शहर के अन्य दर्शनीय स्थलों को देख सकते हैं, और दूसरे दिन आप तिरुमला पहाड़ी पर स्थित अन्य मंदिरों और धार्मिक स्थलों को देख सकते हैं।
तिरुपति बालाजी में किस भगवान की पूजा की जाती है?
तिरुपति बालाजी मंदिर में भगवान विष्णु के अवतार श्री वेंकटेश्वर की पूजा की जाती है। भगवान वेंकटेश्वर को समृद्धि, सफलता, और ज्ञान के देवता के रूप में पूजे जाते हैं।
हम तिरुपति में बाल क्यों चढ़ाते हैं?
तिरुपति में बाल दान करने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। इस परंपरा के पीछे कई मान्यताएं हैं।
- एक मान्यता के अनुसार, बाल दान करने से व्यक्ति के पापों से मुक्ति मिलती है। बालों को व्यक्ति के अहंकार का प्रतीक माना जाता है। बाल दान करने से व्यक्ति अपने अहंकार को त्याग देता है और भगवान के प्रति समर्पित हो जाता है।
- दूसरी मान्यता के अनुसार, बाल दान करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान बाल दान करने वाले भक्तों पर अपनी विशेष कृपा करते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
- तीसरी मान्यता के अनुसार, बाल दान करना एक धार्मिक अनुष्ठान है। यह माना जाता है कि बाल दान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
तिरुपति बालाजी की चढ़ाई कितनी है?
तिरुपति बालाजी मंदिर तिरुमला पहाड़ी की सातवीं चोटी पर स्थित है। इस पहाड़ी की ऊंचाई 3,238 फीट है। मंदिर तक पहुंचने के लिए 3,500 सीढ़ियां हैं। हालांकि, अब आप मंदिर तक टॉय ट्रेन या रोपवे से भी पहुंच सकते हैं।
यदि आप सीढ़ियों से चढ़ना चाहते हैं, तो आपको लगभग 3 घंटे लग सकते हैं। सीढ़ियां 800 मीटर लंबी हैं और इनकी ऊंचाई 3,238 फीट है। सीढ़ियां धीरे-धीरे चढ़ती हैं, इसलिए आपको ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। हालांकि, यदि आपके पास स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं, तो आपको सीढ़ियों से चढ़ने से बचना चाहिए।
टॉय ट्रेन और रोपवे का उपयोग करने से आपको सीढ़ियों से चढ़ने की आवश्यकता नहीं होती है। टॉय ट्रेन से मंदिर तक पहुंचने में लगभग 20 मिनट लगते हैं, और रोपवे से पहुंचने में लगभग 15 मिनट लगते हैं। टॉय ट्रेन और रोपवे का उपयोग करना सीढ़ियों से चढ़ने की तुलना में बहुत अधिक सुविधाजनक है।
तिरुपति बालाजी मंदिर किस राज्य में है?
तिरुपति बालाजी मंदिर भारत के आंध्र प्रदेश राज्य में स्थित है। यह मंदिर तिरुमला पहाड़ी पर स्थित है, जो चित्तूर जिले में है। तिरुपति बालाजी मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय तीर्थ स्थलों में से एक है।
भगवान वेंकटेश्वर के पीछे की कहानी क्या है?
भगवान वेंकटेश्वर के पीछे की कई कहानियां हैं। एक कहानी के अनुसार, भगवान विष्णु ने अपने भक्त भृगु ऋषि की अपमानजनक भाषा का बदला लेने के लिए पृथ्वी पर वेंकटेश्वर के रूप में अवतार लिया। भृगु ऋषि एक महान ऋषि थे, लेकिन वे बहुत ही क्रोधी और गर्वित थे। एक दिन, उन्होंने भगवान विष्णु की छाती पर पैर रख दिया। इस अपमान से क्रोधित होकर, भगवान विष्णु ने भृगु ऋषि को श्राप दिया कि वे एक और जन्म लेंगे, जिसमें उन्हें अपने अहंकार का अहसास होगा। भगवान विष्णु ने वरहा अवतार लिया और पृथ्वी पर आए। उन्होंने एक हिरण का रूप धारण किया और एक ऋषि के आश्रम में रहने लगे। ऋषि की पत्नी बहुत ही सुंदर थीं। वरहा रूप में भगवान विष्णु को देखते ही ऋषि की पत्नी उनसे प्रेम करने लगी। ऋषि की पत्नी ने वरहा भगवान से शादी करने की इच्छा व्यक्त की। वरहा भगवान ने उनकी इच्छा को पूरा किया और उनसे शादी कर ली। कुछ समय बाद, ऋषि की पत्नी को पता चला कि वह गर्भवती है। वह बहुत ही खुश थी। ऋषि की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया। पुत्र का नाम वेंकटेश्वर रखा गया। वेंकटेश्वर एक बहुत ही सुंदर और बुद्धिमान बालक थे। वे बहुत ही दयालु और करुणामयी भी थे। जब वेंकटेश्वर बड़े हुए, तो उन्होंने अपने पिता से सत्य की तलाश करने के लिए कहा। उनके पिता ने उन्हें सत्य की खोज के लिए तीर्थयात्रा पर जाने की सलाह दी। वेंकटेश्वर ने अपने पिता की सलाह मानी और तीर्थयात्रा पर निकल पड़े। वेंकटेश्वर ने कई तीर्थ स्थलों का दौरा किया और कई संतों और ऋषियों से मिले। उन्होंने सत्य के बारे में बहुत कुछ सीखा। अंत में, वेंकटेश्वर तिरुमला पहाड़ी पर पहुंचे। तिरुमला पहाड़ी को भगवान विष्णु का निवास स्थान माना जाता है। वेंकटेश्वर ने तिरुमला पहाड़ी पर तपस्या शुरू कर दी। उन्होंने कई वर्षों तक तपस्या की। अंत में, भगवान विष्णु ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए। भगवान विष्णु ने वेंकटेश्वर को बताया कि वे ही वेंकटेश्वर हैं। वेंकटेश्वर ने भगवान विष्णु से अपने भक्त भृगु ऋषि को क्षमा करने की प्रार्थना की। भगवान विष्णु ने उनकी प्रार्थना स्वीकार की और भृगु ऋषि को क्षमा कर दिया। भगवान विष्णु ने वेंकटेश्वर को तिरुमला पहाड़ी पर रहने का आदेश दिया। वेंकटेश्वर ने भगवान विष्णु की आज्ञा का पालन किया और तिरुमला पहाड़ी पर रहने लगे। वेंकटेश्वर को तिरुपति बालाजी के नाम से भी जाना जाता है। वे समृद्धि, सफलता, और ज्ञान के देवता के रूप में पूजे जाते हैं।
तिरुपति में कहाँ ठहरें?
तिरुपति में ठहरने एवं रुकने के लिए कई विकल्प है यहाँ आप होटल, धर्मशाला, गेस्ट हाउस, आश्रम आदि बुक कर सकते हैं | बुक करने के लिए आप ऑनलाइन विकल्प का चुनाव कर सकते हैं एवं मंदिर के आस पास स्थित होटल बुक करके रुक सकते हैं |
तिरुपति बालाजी कैसे पहुँचे?
तिरुपति बालाजी पहुँचने के कई तरीके हैं: –
- रेल द्वारा: तिरुपति बालाजी रेलवे स्टेशन भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। दिल्ली से तिरुपति बालाजी के लिए सीधी ट्रेनें हैं। यात्रा का समय लगभग 24 घंटे है।
- बस द्वारा: तिरुपति बालाजी देश के कई प्रमुख शहरों से बस सेवाओं से जुड़ा हुआ है। दिल्ली से तिरुपति बालाजी के लिए सीधी बसें हैं। यात्रा का समय लगभग 30 घंटे है।
- हवाई जहाज द्वारा: तिरुपति बालाजी विमानतल भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। दिल्ली से तिरुपति बालाजी के लिए सीधी उड़ानें हैं। यात्रा का समय लगभग 2 घंटे है।
- अपनी कार से: यदि आप अपनी कार से यात्रा कर रहे हैं, तो तिरुपति बालाजी दिल्ली से लगभग 1,200 किलोमीटर दूर है। यात्रा का समय लगभग 24 घंटे है।
तिरुपति बालाजी पहुँचने के बाद, आप मंदिर तक टैक्सी, ऑटो-रिक्शा, या बस से जा सकते हैं। मंदिर तक पैदल भी पहुँचा जा सकता है, लेकिन यह एक लंबा और थका देने वाला सफर है।
निष्कर्ष (Discloser):
हमने अपने आज के इस महत्वपूर्ण लेख में आप सभी लोगों को तिरुपति बालाजी में घूमने की जगह (tirupati Me Ghumne ki Jagah) (tourist places in tirupati) से सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी दी है और यह जानकारी अगर आपको पसंद आई है तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ और अपने सभी सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर करना ना भूले। आपके इस बहुमूल्य समय के लिए धन्यवाद |
अगर आपके मन में हमारे आज के इस लेख के सम्बन्ध में कोई भी सवाल या फिर कोई भी सुझाव है तो आप हमें कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आपके द्वारा दिए गए comment का जवाब जल्द से जल्द देने का प्रयास करेंगे और हमारे इस महत्वपूर्ण लेख को अंतिम तक पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद |
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नोट: यह ब्लॉग पोस्ट तिरुपति के प्रति मेरी आत्मीय भावनाओं का प्रतिबिंब है और इसका उद्देश्य केवल जानकारी साझा करना है।