थावे वाली माता के मंदिर और रोचक जानकारी – Thawe Mandir

थावे वाली माता के मंदिर (Thawe Mandir) –  नमस्कार दोस्तों! आज के इस ब्लॉग पोस्ट में, हम बिहार के एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल ‘थावे मंदिर’ के बारे में चर्चा करेंगे। यह मंदिर बिहार राज्य के एक छोटे से गांव ‘थावे’ में स्थित है और इसकी महत्वपूर्णता धार्मिक एवं सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अद्भुत है। चलिए, हम इस सुंदर मंदिर के बारे में थोड़ी जानकारी प्राप्त करते हैं।

थावे वाली माता के मंदिर और रोचक जानकारी - Thawe Temple

थावे मंदिर के बारे मे रोचक जानकारी – Thawe Temple Information

थावे प्रखंड में देवी दुर्गा का एक प्राचीन मंदिर अवस्थित है एवं यह मंदिर थावे वाली माता के नाम से विख्यात है। इस मंदिर के बारे में यह मान्यता है कि थावे वाली माता अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करती हैं। मंदिर के बाड़े के भीतर एक अजीब वृक्ष है, जिसके वनस्पति परिवार का अभी तक पहचान नहीं किया गया है। पेड़ क्रॉस की तरह बढ़ा हुआ है। मूर्ति और पेड़ के संबंध में विभिन्न किंवंदन्तियाँ प्रचलित हैं। यहाँ चैत्र माह (मार्च-अप्रैल) में सालाना एक बड़ा मेला आयोजित किया जाता है। 

भक्त रहषु और राजा मनन सिंह कि कहानी (थावे मंदिर का इतिहास)

थावे वाली माता के मंदिर और रोचक जानकारी - Thawe Temple

थावे दुर्गा मंदिर की स्थापना की कहानी काफी रोचक है। चेरो वंश के राजा मनन सिंह खुद को मां दुर्गा का बड़ा भक्त मानते थे, तभी अचानक उस राजा के राज्य में अकाल पड़ गया। उसी दौरान थावे में माता रानी का एक भक्त रहषु था। रहषु के द्वारा पटेर को बाघ से दौनी करने पर चावल निकलने लगा। यही वजह थी कि वहां के लोगों को खाने के लिए अनाज मिलने लगा। यह बात राजा तक पहुंची लेकिन राजा को इस बात पर विश्वास नहीं हो रहा था। राजा रहषु के विरोध में हो गया और उसे ढोंगी कहने लगा और उसने रहषु से कहा कि मां को यहां बुलाओ। इस पर रहषु ने राजा से कहा कि यदि मां यहां आईं तो राज्य को बर्बाद कर देंगी लेकिन राजा नहीं माना। रहषु भगत के आह्वान पर देवी मां कामाख्या से चलकर पटना और सारण के आमी होते हुए गोपालगंज के थावे पहुंची .मां के प्रकट होते ही रहशु भगत का सिर फट गया और मां भवानी का हाथ सामने प्रकट हुआ. मां के प्रकटट होने पर रहशु भगत को जहां मोक्ष की प्राप्ति हुई. वहीं मां के प्रकाश से घमंडी राजा मनन सिंह का सबकुछ खत्म हो गया |

एक अन्य मान्यता के अनुसार, हथुआ के राजा युवराज शाही बहादुर ने वर्ष 1714 में थावे दुर्गा मंदिर की स्थापना उस समय की जब वे चंपारण के जमींदार काबुल मोहम्मद बड़हरिया से दसवीं बार लड़ाई हारने के बाद फौज सहित हथुआ वापस लौट रहे थे। इसी दौरान थावे जंगल मे एक विशाल वृक्ष के नीचे पड़ाव डाल कर आराम करने के समय उन्हें अचानक स्वप्न में मां दुर्गा दिखीं। स्वप्न में आये तथ्यों के अनुरूप राजा ने काबुल मोहम्मद बड़हरिया पर आक्रमण कर विजय हासिल की और कल्याण पुर, हुसेपुर, सेलारी, भेलारी, तुरकहा और भुरकाहा को अपने राज के अधीन कर लिया। विजय हासिल करने के बाद उस वृक्ष के चार कदम उत्तर दिशा में राजा ने खुदाई कराई, जहां दस फुट नीचे वन दुर्गा की प्रतिमा मिली और वहीं मंदिर की स्थापना की गई .

थावे मंदिर के बारे मे मान्यता:-

मान्यता है कि यहां मां अपने भक्तों रहसू के बुलावे पर आसाम के कामाख्या स्थान से चलकर यहां पहुंची थी। कहा जाता है, मां कामाख्या से चलकर कोलकाता (दक्षिणेश्वर काली के रूप में विराजमान) फिर पटना में (पाटन देवी के नाम से विराजमान) आमी छपरा जिले में (मां दुर्गा के रूप में विराजमान) इन सभी स्थलों से होते हुए थावे पहुंची थी। रहसू के मस्तिष्क को विभाजित करते हुए माता के हाथ बाहर आया था और माता के दर्शन करने के लिए मिले थे। यह देश के 52 शक्तिपीठों में से एक है। यहां पर नवरात्रि के समय बहुत सारे भक्त माता के दर्शन करने के लिए आते हैं। थावे आकर आपको मां दुर्गा के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यहां पर और भी प्राचीन मूर्तियां आपको देखने के लिए मिल जाती है। यहां पर आपको शंकर भगवान जी, शेरों की प्रतिमा जिनमें सांप लिपटे हुए हैं, रहसू भगत की प्रतिमा, सुंदर जलाशय, महल के अवशेष देखने के लिए मिलते हैं। यहां पर प्रसाद की बहुत सारी दुकानें लगती है। यहां पर छोटा सा जंगल भी है, जहां पर आप घूम सकते हैं। यहां पर आपको बहुत सारे बंदर भी देखने के लिए मिलते हैं। यह गोपालगंज में घूमने लायक एक मुख्य जगह है। 

थावे मंदिर के बारे मे महत्वपूर्ण जानकारी :-

थावे मंदिर मे पुजा के लिए ऑनलाइन बुक करने के लिए Click करे |

थावे मंदिर मे प्रसाद मंगवाने के लिए ऑनलाइन बुक करने के लिए Click करे |

Maa Aarti Timming Mata ka Bhog Rag Mandir Open Timming Rest Time
Morning 5 Am Evening 8 Pm12:30 After NoonMorning 4 Am to Evening 9 Pm12:30 to 2:30 In Noon

 

FAQ(अक्सर पूछे जाने वाले सवाल):-

थावे मंदिर कहां है?

थावे मंदिर, भारत के बिहार राज्य के गोपालगंज जिले के थावे में स्थित है। मां शक्ति के कई नाम और स्वरुप हैं।

थावे मंदिर खुलने का समय?

थावे मंदिर खुलने का समय Morning 4 Am to Evening 9 Pm बजे तक और विश्राम/Rest Time-12:30 to 2:30 बजे तक |

थावे कौन सा जिला में पड़ता है?

थावे, बिहार राज्य के गोपालगंज जिले में स्थित है। यह जिला मुख्यालय से दक्षिण-पश्चिम दिशा में 6 किमी की दूरी पर स्थित है। थावे एक धार्मिक स्थल है, जहाँ देवी दुर्गा को समर्पित एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर चैत्र और अश्विन के नवरात्रों में विशेष रूप से प्रसिद्ध है।

थावे के राजा का क्या नाम था?

थावे के राजा का नाम राजा मनन सिंह था। वे चेरो वंश के राजा थे। थावे के मंदिर की स्थापना की कहानी के अनुसार, राजा मनन सिंह के राज्य में अकाल पड़ गया था। उस समय थावे में रहने वाला एक भक्त रहषु था। रहषु मां दुर्गा का भक्त था। वह दिन में घास काटता था और रात में उसी घास से अन्न निकलता था। इस बात से राजा को विश्वास नहीं हुआ। उन्होंने रहषु को ढोंगी कहकर मां दुर्गा को थावे बुलाने को कहा। रहषु ने राजा को बताया कि अगर मां दुर्गा थावे आएंगी तो राज्य बर्बाद हो जाएगा। लेकिन राजा नहीं माना। रहषु की प्रार्थना पर मां दुर्गा थावे आईं। राजा के सभी भवन गिर गए और राजा की मौत हो गई। मां दुर्गा ने जहां दर्शन दिए, वहां एक भव्य मंदिर है तथा कुछ ही दूरी पर रहषु भगत का भी मंदिर है।

रासु भगत कौन था?

रासु भगत एक चमार जाति के व्यक्ति थे, जो थावे, बिहार के रहने वाले थे। वे मां दुर्गा के भक्त थे। थावे के मंदिर की स्थापना की कहानी के अनुसार, रासु भगत एक गरीब चमार थे। वे दिन भर घास काटते थे और रात में उसी घास से अन्न निकलता था। इस बात से थावे के राजा मनन सिंह को विश्वास नहीं हुआ। उन्होंने रासु भगत को ढोंगी कहकर मां दुर्गा को थावे बुलाने को कहा। रासु भगत ने राजा को बताया कि अगर मां दुर्गा थावे आएंगी तो राज्य बर्बाद हो जाएगा। लेकिन राजा नहीं माना। रासु भगत की प्रार्थना पर मां दुर्गा थावे आईं। राजा के सभी भवन गिर गए और राजा की मौत हो गई। मां दुर्गा ने जहां दर्शन दिए, वहां एक भव्य मंदिर है तथा कुछ ही दूरी पर रासु भगत का भी मंदिर है।

गोपालगंज में क्या प्रसिद्ध है?

गोपालगंज बिहार के पूर्वी हिस्से में स्थित एक जिला है। यह जिला गंडक नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है। गोपालगंज कई चीजों के लिए प्रसिद्ध है, जिनमें शामिल हैं:- थावे दुर्गा मंदिर, गंडक नदी, मायापुर इत्यादि |

निष्कर्ष (Discloser):

हमने अपने आज के इस महत्वपूर्ण लेख में आप सभी लोगों को दार्जिलिंग में घूमने की जगह (Darjeeling Me Ghumne ki Jagah) (tourist places in darjeeling) से सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी दी है और यह जानकारी अगर आपको पसंद आई है तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ और अपने सभी सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर करना ना भूले। आपके इस बहुमूल्य समय के लिए धन्यवाद |

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नोट: यह ब्लॉग पोस्ट चंडीगढ़ के प्रति मेरी आत्मीय भावनाओं का प्रतिबिंब है और इसका उद्देश्य केवल जानकारी साझा करना है।